भाजपा के करारी हार के पीछे कई बड़ी वजह है।
आंतरिक कलह बनी हार की वजह? या महंगाई और बेरोजगारी बना बड़ा फैक्टर?
जानते हैं इस रिपोर्ट के माध्यम से
सबसे बड़ी वजह उभर कर सामने आई है बेरोजगारी
युवाओं के साथ साथ उनके परिजनों में भी भाजपा के प्रति रोष व्याप्त था।
खासकर सर्वाधिक सीटों वाला राज्य उत्तर प्रदेश में इतनी कम सीटों पर जीत दर्ज करने की सबसे बड़ी वजह बेरोजगारी बनी।
उत्तर प्रदेश में विगत कई वर्षों से कोई भी भर्ती प्रक्रिया संपन्न नहीं हो सकी।
2021 में आखिरी बार आई दरोगा की भर्ती के बाद कोई भर्ती नहीं।
2021 के बाद उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा नहीं हुई है।
2 साल पहले उत्तर प्रदेश में टीजीटी के लिए आवेदन मांगा गया था उसकी परीक्षा अभी तक नहीं कराई गई।
2021 में आखिरी बार पूरी हुई उत्तर प्रदेश समीक्षा अधिकारी भर्ती प्रक्रिया।
उत्तर प्रदेश राजस्व निरीक्षक की आखिरी भर्ती 2016 में आई थी।
ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हर वर्ग के युवाओं में रोष व्याप्त होना स्वाभाविक है।
और दूसरी सबसे बड़ी गलती ये है कि अन्य दलों से आए हुए नेताओं को टिकट देकर अपनी पार्टी के लिए कई वर्षों से पसीना बहाने वाले कार्यकर्ताओं को दरकिनार करना।
भाजपा के क्षेत्रीय नेताओं को किसी भी प्रकार का कोई अधिकार न देना।
कई बार सत्ताधारी दल भाजपा के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शिकायत की कि उनके जिले के अधिकारी उनका फोन तक नहीं उठाते।
जनता के प्रति जवाबदेह नेता खुद मजबूर थे उनकी शिकायत दूर करने के लिए।
तीसरी वजह ये है कि कुछ ऐसे नेता जो कभी भाजपा के कट्टर विरोधी हुआ करते थे। खुले मंच से भाजपा को उल्टा सीधा कहने वाले नेताओं को पार्टी में जगह देना भी भाजपा के लिए घातक साबित हुआ। जैसे ओम प्रकाश राजभर खुले मंच से भाजपा के बारे में कई बार ऐसा बोल गए हैं जो एक राजनेता को शोभा नहीं देता इसके बाद भी ओम प्रकाश राजभर को पार्टी में शामिल करना भी बड़ा कारण बना।
गुजरात दंगे में लिप्त होने के कारण 2 साल की सजा काटने वाले हार्दिक पटेल जो कभी भाजपा का कड़ा विरोध करते थे उन्हें भाजपा में शामिल करना भी हार की एक वजह बना।
गोवंश वध को रोकने के लिए भाजपा सरकार की सराहना तो हुई लेकिन उसके लिए कोई समुचित व्यवस्था न होने से उत्तर प्रदेश के किसानों में काफी रोष व्याप्त है।
आए दिन गोवंशों के द्वारा सड़क पर हादसा होना आम बात हो गई है।
किसान आंदोलन भी बना एक बड़ा कारण।
1975 में इंदिरा गांधी की सरकार ने देश में आपातकाल लगाकर मीडिया , शिक्षकों और बौद्धिक वर्ग पर नियंत्रण बनाने का प्रयास किया था नतीजा ये हुआ कि आगामी लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी को हार का सामना करना पड़ा। जिससे एक बात तो स्पष्ट है कि सरकार की आलोचना करने वाले बौद्धिक वर्ग पर नियंत्रण स्थापित करना विकल्प नहीं है बल्कि उन पर प्रबंधन स्थापित करना चाहिए।