Thursday, November 21, 2024
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छठवें चरण का चुनाव बाहुबली और हाई प्रोफाइल सियासी चेहरों का चुनाव बन चुका है। ऐसे में क्या है छठवें चरण का चुनावी समीकरण?

  • लोकसभा चुनाव के छठवें चरण में 8 राज्यों के कुल 58 सीटों पर मतदान होगा। 58 लोकसभा सीटों पर 889 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमाने को तैयार हैं।
    छठवें चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार थम गया है।
    मतदाताओं ने अपनी राय बना ली है। कल शाम 6 बजे तक सभी 889 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जायेगी।
    सर्वाधिक 223 प्रत्याशी के साथ हरियाणा प्रत्याशियों की सूची में सबसे आगे है।
    वहीं देश की सत्ता निर्धारित करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर कुल 162 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
    2019 लोकसभा चुनाव में इन 14 सीटों में 9 सीटें भाजपा के खाते में थी 4 सीटें बसपा के खाते में जबकि मात्र 1 सीट पर सपा को जीत मिली थी।
    लेकिन इस बार का चुनावी समीकरण बिल्कुल बदल चुका है।
    2019 लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ सीट पर सपा को जीत मिली थी किंतु 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी दिनेश लाल यादव “निरहुआ” को आजमगढ़ की जनता ने अपना सांसद चुना।
    हालांकि मात्र 8000 से कुछ ज्यादा मतों से ही निरहुआ को जीत मिली थी।
    वैसे देखा जाए तो 2022 लोकसभा उपचुनाव में आजमगढ़ से भाजपा को जीत दिलाने में सबसे बड़ा फैक्टर बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली थे।
    बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली 2 लाख से ज्यादा मतों के साथ तीसरे स्थान पर थे।
    2024 लोकसभा चुनाव से पहले ही अखिलेश यादव ने अपनी परंपरागत सीट आजमगढ़ को जीतने की हर रणनीति बना लिए थे।

  • अखिलेश यादव ने मुस्लिम मतदाताओं के महत्व को देखते हुए गुड्डू जमाली को सपा से एमएलसी बना दिया।
    अब ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं में अपनी अच्छी पकड़ रखने वाले गुड्डू जमाली का सपा को समर्थन करने से भाजपा को भारी नुकसान हो सकता है।
    वहीं जौनपुर लोकसभा सीट पर सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर का मुकाबला दिख रहा है।
    सपा प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा- मुस्लिम ,यादव और ओबीसी मतदाताओं की पहली पसंद बने हुए हैं।
    जौनपुर में भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर का चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर धनंजय सिंह लड़ रहे हैं।
    धनंजय सिंह की पत्नी श्री कला का बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए मना करने से सर्वाधिक नुकसान बसपा को होता दिख रहा है।
    वही यदि सुल्तानपुर लोकसभा सीट की गणित देखें तो उसका अपना एक अलग ही इतिहास रहा है। अब तक इतिहास में सुल्तानपुर लोकसभा सीट से एक ही दल का कोई प्रत्याशी लगातार 2 बार चुनाव नहीं जीत सका है।

  • अब ऐसे में गांधी परिवार की बहू मेनिका गांधी कितनी मजबूती से चुनाव लड़ रही है वो इन आंकड़ों के माध्यम से समझा जा सकता है। भाजपा प्रत्याशी मेनिका गांधी का मुकाबला समाजवादी पार्टी प्रत्याशी राम भुआल निषाद और बसपा प्रत्याशी उदराज वर्मा से है.
    सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर पटेल और निषाद वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं ।
    अब ऐसे में भाजपा के लिए सुल्तानपुर लोकसभा सीट कितनी सुरक्षित है ये तो चुनाव परिणाम के बाद ही स्पष्ट होगा किंतु मुकाबला त्रिकोणीय बन चुका है।
    यदि उत्तर प्रदेश की इन 14 लोकसभा सीटों का औसत आंकलन करते हैं तो 5 सीटों पर भाजपा सुरक्षित दिख रही है , 3 सीटों पर सपा का कब्जा होता दिख रहा है जबकि अन्य 6 सीटों पर भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर दिख रही है ।
    छठवें चरण का चुनाव बाहुबली और हाई प्रोफाइल सियासी चेहरों का चुनाव बन चुका है है।
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