चाहे चुनाव हो या फिर परीक्षा जब तक परिणाम नहीं आ जाता अनिश्चितता बनी रहती है।
लेकिन कुछ लोग परिणाम को लेकर चिंतित नजर आने लगते हैं।
ऐसी ही चिंता देखने को मिल रही है सपा के अंबेडकर नगर लोकसभा प्रत्याशी लालजी वर्मा के चेहरे पर।
आखिर ये डर किस बात का है?
अंबेडकर नगर लोकसभा सीट पर प्रमुख रूप से तीन प्रत्याशी मैदान में थे। सपा प्रत्याशी Lalji Verma , भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडेय और बसपा प्रत्याशी कमर हयात।
लेकिन सभी की निगाहें दो प्रत्याशी लालजी वर्मा और रितेश पांडेय पर टिकी थी। कहीं न कहीं लालजी वर्मा और रितेश पांडेय के बीच कांटे की टक्कर दिख रही थी।
अब ऐसे में निर्णायक भूमिका में बसपा का रोल बहुत अहम माना जा रहा है।
ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि मुस्लिम और दलित वोटर बसपा के साथ चले गए तो सपा का चुनाव जीतना आसान नहीं होगा वहीं दूसरी ओर यदि मुस्लिम मतदाता सपा के पक्ष में गए तो भाजपा का सफर आसान नहीं होगा।
हालंकि ये डर सभी प्रत्याशियों को सता रहा है।
लेकिन सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा के डर की अन्य वजह भी है 25 मई को संपन्न हुए चुनाव के एक दिन पूर्व सपा नेता लवकुश वर्मा की गाड़ी से 1 लाख रुपए की बरामदगी के बाद उन्हें थाने ले जाना फिर सुबह भारी संख्या में पुलिस बल के साथ सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा के घर छापेमारी के बाद से कहीं न कहीं लालजी वर्मा का प्रशासन से भरोसा उठता हुआ दिख रहा है।
25 को Lalji Verma ने आरोप भी लगाया था कि प्रशासन सत्ता पक्ष के दबाव में आकर उन्हें प्रताड़ित कर रहा है।
शायद प्रशासन के इसी रवैए से लालजी वर्मा के समर्थक टेंट लगाकर दिन रात ईवीएम की रखवाली कर रहे हैं।
यदि सच में ईवीएम के साथ कोई छेड़खानी हो सकती है तो ये लोकतंत्र पर गहरे संकट का प्रतीक है।
हालांकि इस देश की जनता को चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर पूरा भरोसा है।