आजाद समाज पार्टी में तब्दील हुई बसपा।
चंद्रशेखर आज़ाद की लोकप्रियता के तूफान ने अंबेडकर नगर समेत पूरे प्रदेश की राजनैतिक हवा के रुख को मोड़ दिया
युवाओं ,महिलाओं और बुजुर्गों के हुजूम ने आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंचा दिया ।
इस उमड़ी भीड़ को देखने के बाद एक पंक्ति आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद पर बिल्कुल सटीक बैठती है।
दलित समाज के उभरते नेता चंद्रशेखर आज़ाद की बढ़ती लोकप्रियता ने उत्तर प्रदेश की सभी राजनैतिक दलों की टेंशन बढ़ा दी।
2012 के बाद से बहुजन समाज पार्टी की गिरती लोकप्रियता के बाद उत्तर प्रदेश में मात्र दो दलों का प्रभुत्व बना रहा।
युवा जोश और कुछ कर गुजरने की तमन्ना से ओतप्रोत आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने कभी दलित हितैषी पार्टी कहे जाने वाले बसपा के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया ।
1986 में सहारनपुर जिले में सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक गोवर्धन दास के घर जन्मे चंद्रशेखर आज़ाद बचपन काल से ही मेधावी छात्र रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उन्होंने एलएलबी किया ।
डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर जी के मूल्यों से प्रभावित होकर उन्होंने दलित समाज के हित के लिए कार्य करना शुरू किया।
2014 में भीम आर्मी के सह संस्थापक के रूप में चंद्रशेखर आज़ाद पहली बार किसी संगठन से जुड़े।
जहां आज के समय में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी बन चुकी है ऐसे समय में एक सामान्य परिवार से आने वाले चंद्रशेखर आज़ाद के लिए राजनीति में उभरना कितना कठिन रहा होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।
दलित एवं बहुजन समाज के उभरते नेता चंद्रशेखर आज़ाद के लिए ये सफर इतना आसान नहीं रहा।
आपको बता दें चंद्रशेखर आज़ाद ने सहारनपुर हिंसा , नागरिकता संशोधन विधेयक और हाथरस कांड जैसे गंभीर मामलों को लेकर सरकार का पुरजोर विरोध किया था जिसके बाद उन्हें जेल की सलाखों के अंदर कैद होना पड़ा था।
लेकिन कहते हैं न कि यदि हौंसले बुलंद और मंजिल स्पष्ट हो तो तूफान भी अपना रूख बदल लेते हैं।
आधे दशक से कम समय की पुरानी पार्टी आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद की बढ़ती लोकप्रियता ने उत्तर प्रदेश के राजनीतिक दलों की टेंशन बढ़ा दी है।
उत्तर प्रदेश के नगीना लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित होकर संसद पहुंचने वाले चंद्रशेखर आज़ाद आज बहुजन समाज के सबसे बड़े नेता बन चुके हैं।
बहुजन समाज पार्टी की निष्क्रियता के बाद उत्तर प्रदेश में दलित नेताओं का एक निम्नदाब वाला क्षेत्र बन चुका था जिसे आजाद समाज पार्टी ने अपनी सक्रियता से भर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो आजाद समाज पार्टी ने पूरी तरह से बहुजन समाज पार्टी का स्थान ले लिया है।
बसपा का गढ़ माने जाने वाले अंबेडकर नगर में पहुंचे आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद के जनसभा में भारी भीड़ देखने के बाद एक बात तो स्पष्ट है कि अब अंबेडकर नगर में भाजपा और सपा को टक्कर देने के लिए एक और दल शामिल हो गया है।
आपको बता दें लोकसभा चुनाव 2024 में कटेहरी विधानसभा के तत्कालीन विधायक लालजी वर्मा के सांसद निर्वाचित होने के बाद कटेहरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है।
ऐसे में भाजपा , सपा , बसपा एवं अन्य सभी दल खाली पड़े कटेहरी विधानसभा सीट को अपनी झोली में डालने का भरसक प्रयास कर रहे थे लेकिन 3 अगस्त को आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद के अंबेडकर नगर जनपद आगमन में शामिल हुए भीड़ को देखकर सभी दलों का मनोबल टूटता हुवा दिखने लगा है।
यदि कटेहरी विधानसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में आजाद समाज पार्टी को जीत मिल जाती है तो आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 भाजपा और सपा के लिए शुभ संकेत नहीं होगा।